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Krishna River Facts ! कृष्णा नदी के रोचक तथ्य और सम्पूर्ण जानकारी

 कृष्णा नदी – दक्षिण भारत की जीवन रेखा, इतिहास, महत्व और रोचक तथ्य

Krishna River Facts In Hindi
Krishna River


कृष्णा नदी परिचय – दक्षिण भारत की जीवन रेखा

कृष्णा नदी (Krishna River) दक्षिण भारत की सबसे महत्वपूर्ण, पवित्र और विशाल नदियों में से एक है, जिसे अक्सर “दक्षिण भारत की गंगा” कहा जाता है। महाराष्ट्र के महाबलेश्वर से निकलकर यह नदी कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे चार बड़े राज्यों की धरती को सींचती है और अंत में बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जाती है। लगभग 1,400 किलोमीटर लंबी यात्रा तय करने वाली यह नदी करोड़ों किसानों की आजीविका का आधार है और सिंचाई, बिजली उत्पादन, धर्म, संस्कृति व पर्यटन सभी क्षेत्रों में इसका योगदान अद्वितीय है। कृष्णा नदी के तट पर बसे मंदिर, बाँध, बैराज, पौराणिक स्थल और प्राकृतिक दृश्य इसे केवल जलधारा नहीं, बल्कि दक्षिण भारत की जीवन रेखा (Lifeline of South India) बना देते हैं। यही कारण है कि चाहे धार्मिक दृष्टि से देखें या आर्थिक, यह नदी भारत की सभ्यता और संस्कृति का अहम हिस्सा मानी जाती है।


 कृष्णा नदी का उद्गम स्थल और भौगोलिक विस्तार – कहाँ से निकलती है और किन राज्यों से गुजरती है?  Krishna River Origin


Krishna River System In Hindi
Krishna River


कृष्णा नदी (Krishna River) दक्षिण भारत की सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र नदियों में से एक है, जिसे अक्सर “दक्षिण भारत की गंगा” भी कहा जाता है। इस नदी का उद्गम महाराष्ट्र राज्य के पश्चिमी घाट में स्थित महाबलेश्वर के पास के महादेव पर्वत से होता है। समुद्र तल से लगभग 1,337 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह क्षेत्र हरे-भरे जंगलों, झरनों और प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ है। उद्गम स्थल से निकलने के बाद कृष्णा नदी लगभग 1,400 किलोमीटर लंबी यात्रा तय करती है और अंततः बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जाती है। इस नदी का इतना बड़ा भौगोलिक विस्तार है कि यह महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे चार बड़े राज्यों से होकर गुजरती है। यही वजह है कि इसे दक्षिण भारत की जीवन रेखा (Lifeline of South India) कहा जाता है। Krishna River States Covered

कृष्णा नदी का मार्ग केवल लंबाई तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके किनारे बसे करोड़ों लोगों का जीवन भी इस पर निर्भर करता है। महाराष्ट्र से निकलने के बाद यह नदी कर्नाटक की सीमाओं में प्रवेश करती है, जहाँ यह कृषि, सिंचाई और बिजली उत्पादन में अहम योगदान देती है। इसके बाद यह तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में प्रवेश करती है, जहाँ नागार्जुन सागर, श्रीशैलम और प्राकाशम जैसे विशाल बांध इस नदी की शक्ति को नियंत्रित करते हैं। आंध्र प्रदेश में यह नदी बेहद चौड़ी हो जाती है और यहाँ इसका डेल्टा क्षेत्र उपजाऊ मिट्टी के लिए प्रसिद्ध है, जो धान, गन्ना और कपास जैसी फसलों की खेती के लिए आदर्श माना जाता है।

भौगोलिक दृष्टि से देखें तो कृष्णा नदी का बेसिन लगभग 2,59,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल को कवर करता है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 8% हिस्सा है। इस नदी की कई प्रमुख सहायक नदियाँ भी हैं जैसे भीमा, तुंगभद्रा, घटप्रभा और मलप्रभा, जो इसकी जलधारा को और अधिक विशाल और शक्तिशाली बनाती हैं। इतना ही नहीं, कृष्णा नदी का जल दक्षिण भारत की अर्थव्यवस्था, संस्कृति और कृषि उत्पादन का आधार है। Krishna River Basin

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 दक्षिण भारत की कृषि और सिंचाई में कृष्णा नदी का महत्व – करोड़ों किसानों की जीवन रेखा  Farmers Lifeline South India 

कृष्णा नदी दक्षिण भारत की कृषि और सिंचाई व्यवस्था की रीढ़ है, जिसे सही मायनों में “किसानों की जीवन रेखा” कहा जाता है। इस नदी के किनारे बसे करोड़ों किसान अपनी आजीविका, फसल उत्पादन और पानी की ज़रूरतों के लिए इस पर निर्भर रहते हैं। महाराष्ट्र से निकलने के बाद यह नदी कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश तक बहती है, और इन चारों राज्यों की कृषि भूमि को उपजाऊ और सिंचाई योग्य बनाती है। कृष्णा नदी का डेल्टा (Krishna River Delta Crops) क्षेत्र विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जिसे “धान का कटोरा” कहा जाता है क्योंकि यहाँ चावल की भरपूर खेती होती है। इसके अलावा गन्ना, कपास, ज्वार, दालें और विभिन्न प्रकार की सब्जियाँ भी इस नदी के किनारे बड़ी मात्रा में उगाई जाती हैं। कृषि वैज्ञानिक भी मानते हैं कि कृष्णा नदी के जलग्रहण क्षेत्र की मिट्टी बेहद उपजाऊ है, और इसमें मौजूद नमी और पोषक तत्व किसानों के लिए वरदान साबित होते हैं। Farmers Lifeline South India

कृष्णा नदी पर बने बाँध और नहरें दक्षिण भारत की सिंचाई व्यवस्था को और भी मज़बूत बनाती हैं। नागार्जुन सागर डैम, श्रीशैलम डैम और प्राकाशम बैराज जैसे विशाल प्रोजेक्ट्स इस नदी के जल को संग्रहीत करके खेतों तक पहुँचाते हैं। केवल सिंचाई ही नहीं, बल्कि इन प्रोजेक्ट्स से हज़ारों गाँवों और कस्बों को पीने का पानी भी उपलब्ध होता है। आँकड़ों के अनुसार, कृष्णा नदी के पानी से करीब 75 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। इतना ही नहीं, यहाँ उत्पादित गन्ना और कपास जैसी नगदी फसलें न केवल किसानों की आय बढ़ाती हैं बल्कि चीनी और कपड़ा उद्योग को भी मज़बूत आधार देती हैं। यही कारण है कि कृषि से जुड़ी अर्थव्यवस्था में कृष्णा नदी का योगदान अरबों रुपये का है और यह दक्षिण भारत की समृद्धि की धुरी है।Krishna River Agriculture Importance

इस नदी का महत्व केवल पारंपरिक खेती तक सीमित नहीं है, बल्कि आधुनिक कृषि पद्धतियों में भी इसका जल बेहद अहम है। आज जब दक्षिण भारत के कई हिस्सों में भूजल का स्तर लगातार गिर रहा है और वर्षा पर निर्भरता अस्थिर हो रही है, तब कृष्णा नदी किसानों के लिए स्थायी जल स्रोत के रूप में सामने आती है। सरकारें और किसान संगठन भी इस नदी के पानी का उपयोग ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर सिस्टम जैसी आधुनिक तकनीकों में करते हैं ताकि पानी की बचत हो सके और फसल उत्पादन अधिकतम स्तर तक पहुँच सके।  Krishna River Irrigation

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3. कृष्णा नदी पर बने प्रमुख बाँध और परियोजनाएँ – नागार्जुन सागर से लेकर श्रीशैलम तक

कृष्णा नदी पर कई विशाल बाँध और जलविद्युत परियोजनाएँ बनाई गई हैं, जो दक्षिण भारत की सिंचाई, बिजली उत्पादन और जल प्रबंधन के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। नीचे इन्हें पॉइंट्स में बड़े-बड़े पैराग्राफ़ में विस्तार से दिया गया है:

1. नागार्जुन सागर बाँध (Nagarjuna Sagar Dam)


नागार्जुन सागर बाँध कृष्णा नदी पर बना सबसे प्रसिद्ध और विशाल बाँध है। यह बाँध आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सीमा पर स्थित है और इसे दुनिया के सबसे बड़े पत्थर से बने बाँधों में गिना जाता है। इसका निर्माण 1955 में शुरू हुआ और 1967 में पूरा हुआ। इस बाँध की ऊँचाई लगभग 124 मीटर और लंबाई 1.6 किलोमीटर है। इसकी जल संग्रहण क्षमता इतनी विशाल है कि यह लाखों हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराता है। नागार्जुन सागर डैम की वजह से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बड़े हिस्से में धान और गन्ने जैसी जल-आधारित फसलों की खेती संभव हो पाई है। इसके अलावा, यह बाँध जलविद्युत उत्पादन का भी एक प्रमुख केंद्र है, जहाँ से लाखों घरों को बिजली मिलती है। यह न केवल एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, बल्कि किसानों और ग्रामीण इलाकों की समृद्धि का मुख्य आधार भी है।

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2. श्रीशैलम बाँध (Srisailam Dam)


श्रीशैलम बाँध कृष्णा नदी पर बना दूसरा सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण बाँध है, जो आंध्र प्रदेश के कर्नूल ज़िले में स्थित है। यह बाँध 145 मीटर ऊँचा और लगभग 512 मीटर लंबा है, और इसे भारत का दूसरा सबसे बड़ा जलविद्युत प्रोजेक्ट भी माना जाता है। यहाँ पर स्थापित पावर स्टेशन की कुल क्षमता 1,670 मेगावाट है, जो दक्षिण भारत की बिजली आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। सिंचाई के लिहाज़ से भी श्रीशैलम डैम का महत्व कम नहीं है। इस बाँध से नहरों के माध्यम से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कई ज़िलों में पानी पहुँचता है। इसके अलावा, यहाँ स्थित मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर धार्मिक दृष्टि से भी प्रसिद्ध है, जिससे यह बाँध पर्यटन का एक बड़ा केंद्र भी बन गया है।


3. प्राकाशम बैराज (Prakasam Barrage)


प्राकाशम बैराज आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा शहर के पास स्थित है और यह कृष्णा नदी पर बना एक ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्व वाला प्रोजेक्ट है। इस बैराज का निर्माण सबसे पहले 1855 में ब्रिटिश काल के दौरान हुआ था और बाद में इसका आधुनिकीकरण किया गया। यह बैराज केवल सिंचाई ही नहीं बल्कि सड़क परिवहन का भी अहम हिस्सा है क्योंकि इसके ऊपर से हाईवे गुजरता है। प्राकाशम बैराज के ज़रिए लगभग 13 लाख एकड़ भूमि की सिंचाई की जाती है। इसके अलावा, यह विजयवाड़ा और आसपास के इलाकों को जल आपूर्ति करता है। इसकी सुंदरता और पानी का विशाल फैलाव इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी बनाता है, जहाँ हज़ारों लोग हर साल घूमने आते हैं।

4. अलमट्टी बाँध (Almatti Dam)


अलमट्टी बाँध कर्नाटक के बागलकोट ज़िले में स्थित है और यह कृष्णा नदी पर बने सबसे महत्वपूर्ण बाँधों में से एक है। इसका निर्माण कृष्णा नदी जल विवाद समाधान प्राधिकरण (Krishna Water Disputes Tribunal) के तहत हुआ, ताकि कर्नाटक को भी सिंचाई और बिजली उत्पादन में बराबर का लाभ मिल सके। इस बाँध की ऊँचाई लगभग 52 मीटर और लंबाई 1,560 मीटर है। अलमट्टी डैम की मदद से कर्नाटक के उत्तरी ज़िलों जैसे बागलकोट, बेलगावी और विजयपुरा में बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। इसके अलावा, यहाँ से 300 मेगावाट से अधिक बिजली का उत्पादन होता है। यह बाँध न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह कर्नाटक के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में हरियाली लाने वाला प्रोजेक्ट भी है।

5. नरसापुरम बैराज और अन्य परियोजनाएँ


कृष्णा नदी पर कई छोटे-छोटे बैराज और परियोजनाएँ भी बनाई गई हैं, जैसे नरसापुरम बैराज, भीमा प्रोजेक्ट और तुंगभद्रा डैम (जो इसकी सहायक नदी पर है)। इन परियोजनाओं का मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्तर पर सिंचाई और जल आपूर्ति सुनिश्चित करना है। ये छोटे प्रोजेक्ट्स भले ही नागार्जुन सागर या श्रीशैलम जैसे विशाल न हों, लेकिन ग्रामीण इलाकों में किसानों और नागरिकों के जीवन को आसान बनाते हैं। इनसे छोटे-छोटे तालाब और नहरें बनाकर स्थानीय स्तर पर खेती और पीने के पानी की ज़रूरतें पूरी की जाती हैं।


👉 इन सभी बाँधों और परियोजनाओं ने मिलकर कृष्णा नदी को दक्षिण भारत की जल जीवन रेखा बना दिया है। ये न केवल सिंचाई और बिजली उत्पादन का साधन हैं, बल्कि क्षेत्रीय विकास, पर्यटन और रोजगार का भी मजबूत आधार प्रदान करते हैं। 

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4. कृष्णा नदी से जुड़े पौराणिक किस्से और ऐतिहासिक महत्व – धर्म और संस्कृति का अद्भुत संगम Krishna River Mythology


कृष्णा नदी केवल एक भौगोलिक धारा ही नहीं, बल्कि भारत की पौराणिक कथाओं, धार्मिक आस्थाओं और सांस्कृतिक परंपराओं का जीवंत प्रतीक भी है। प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में इसका उल्लेख बार-बार मिलता है, जहाँ इसे पवित्र और मोक्षदायिनी नदी कहा गया है। मान्यता है कि कृष्णा नदी का नाम स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के नाम पर पड़ा और इसकी धारा में स्नान करने से पापों का नाश होता है। यही कारण है कि इसके किनारे बसे अनेक तीर्थ स्थल और मंदिर आज भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। श्रीशैलम में स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर इस नदी के किनारे है, जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और हर साल लाखों भक्त यहाँ दर्शन के लिए पहुँचते हैं। इसके अलावा, विजयवाड़ा का कणक दुर्गा मंदिर भी कृष्णा नदी के तट पर ही स्थित है, जिसे शक्ति उपासकों के लिए विशेष स्थान प्राप्त है। Krishna River Historical Importance

इतिहास की दृष्टि से देखें तो कृष्णा नदी दक्षिण भारत की सभ्यता और संस्कृति का केंद्र रही है। सातवाहन, चालुक्य और काकतीय जैसे महान राजवंशों ने अपने साम्राज्यों को इस नदी के किनारे विकसित किया। नदी के किनारे बसे नगर व्यापार, शिक्षा और कला के प्रमुख केंद्र रहे, जिन्होंने भारत की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध किया। कृष्णा नदी के किनारे बौद्ध धर्म का भी गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। अमरावती, जो इस नदी के तट पर बसा है, प्राचीन काल में बौद्ध शिक्षा और स्थापत्य कला का बड़ा केंद्र था। यहाँ बने स्तूप और मूर्तियाँ आज भी इस क्षेत्र की गौरवशाली विरासत का प्रमाण हैं।  Krishna River Temples

धर्म और संस्कृति का संगम केवल ऐतिहासिक स्मारकों तक सीमित नहीं है, बल्कि आज भी नदी तट पर होने वाले पर्व और मेले इसे जीवंत बनाते हैं। विजयवाड़ा में दशहरा महोत्सव कृष्णा नदी के तट पर बड़े उत्साह से मनाया जाता है। वहीं, श्रीशैलम और नागार्जुन सागर के आसपास होने वाले धार्मिक उत्सवों में हजारों लोग भाग लेते हैं। लोककथाओं और भजनों में भी कृष्णा नदी का महत्व गाया जाता है, जो इसे केवल जलधारा नहीं बल्कि भावनाओं और आस्थाओं की धारा बना देता है।  Krishna River Cultural Heritage,

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कृष्णा नदी से जुड़े रोचक तथ्य और पर्यटन स्थल – यात्रियों और शोधकर्ताओं की पहली पसंद

कृष्णा नदी केवल कृषि और सिंचाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह इतिहास, धर्म, संस्कृति और पर्यटन का अद्भुत संगम भी है। इस नदी से जुड़े अनेक तथ्य और स्थल यात्रियों, शोधकर्ताओं और प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

1. महाबलेश्वर से उद्गम – एक पवित्र आरंभ


कृष्णा नदी का उद्गम महाराष्ट्र के महाबलेश्वर के महादेव पर्वत से होता है। यह क्षेत्र धार्मिक दृष्टि से पवित्र माना जाता है क्योंकि यहाँ स्थित कृष्णाबाई मंदिर में नदी के स्रोत की पूजा की जाती है। यहाँ आने वाले यात्री नदी की पहली धारा देखने और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने आते हैं।

2. दक्षिण भारत की गंगा – धार्मिक महत्व


कृष्णा नदी को “दक्षिण भारत की गंगा” कहा जाता है। मान्यता है कि इस नदी में स्नान करने से पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसीलिए इसके किनारे बने मंदिर और घाट हमेशा श्रद्धालुओं से भरे रहते हैं।


3. अमरावती – बौद्ध धरोहर का केंद्र


आंध्र प्रदेश का अमरावती शहर कृष्णा नदी के तट पर स्थित है और बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र रहा है। यहाँ स्थित प्राचीन अमरावती स्तूप और संग्रहालय शोधकर्ताओं और इतिहास प्रेमियों के लिए खजाना हैं।

4. विजयवाड़ा का कणक दुर्गा मंदिर


कृष्णा नदी के किनारे विजयवाड़ा में स्थित कणक दुर्गा मंदिर शक्ति उपासना का प्रमुख स्थल है। दशहरा के समय यहाँ लाखों भक्त पहुँचते हैं। नदी के घाट से मंदिर का दृश्य पर्यटकों को आध्यात्मिक शांति देता है।

5. नागार्जुन सागर डैम – इंजीनियरिंग का चमत्कार


नागार्जुन सागर बाँध न केवल सिंचाई और बिजली उत्पादन का केंद्र है, बल्कि यह पर्यटन स्थल भी है। बाँध से गिरता पानी और आसपास का हरियाली भरा वातावरण यात्रियों को आकर्षित करता है।

6. श्रीशैलम – धर्म और प्रकृति का संगम


श्रीशैलम बाँध और यहाँ स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर कृष्णा नदी के किनारे धार्मिक और प्राकृतिक सुंदरता का संगम प्रस्तुत करते हैं। यहाँ जंगलों, पहाड़ियों और नदी का अद्भुत दृश्य पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

7. प्राकाशम बैराज – विजयवाड़ा का गौरव


प्राकाशम बैराज से बहता हुआ पानी देखने लायक दृश्य बनाता है। इसके ऊपर से गुजरती सड़क यात्रा को और भी रोमांचक बना देती है। शाम के समय यहाँ की रोशनी और बहते पानी का नज़ारा फोटोग्राफरों की पसंद है।

8. कृष्णा पुष्कर मेला – आस्था का पर्व


हर 12 साल में कृष्णा नदी के तट पर पुष्कर मेला आयोजित होता है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु नदी में स्नान करने आते हैं। यह उत्सव धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से बेहद खास माना जाता है।

9. अलमट्टी बाँध – कर्नाटक की धरोहर


अलमट्टी डैम केवल पानी और बिजली का साधन ही नहीं बल्कि एक खूबसूरत पर्यटन स्थल भी है। यहाँ का गार्डन, झरने और संगीतमय फव्वारे पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

10. घाटप्रभा और मलप्रभा संगम


कृष्णा नदी की सहायक नदियाँ घाटप्रभा और मलप्रभा बेलगावी क्षेत्र में इससे मिलती हैं। इन नदियों का संगम स्थल प्राकृतिक रूप से बेहद सुंदर और शोध के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है।

11. कृष्णा नदी का डेल्टा – धान का कटोरा


आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी का डेल्टा क्षेत्र बेहद उपजाऊ है और इसे “धान का कटोरा” कहा जाता है। यहाँ की हरियाली और खेतों का दृश्य यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

12. संगमेश्वर मंदिर – नदियों का मिलन स्थल


कृष्णा और भीमा नदी का संगम स्थल संगमेश्वर कहलाता है। यहाँ बना प्राचीन शिव मंदिर धार्मिक महत्व रखता है और हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

13. जोगुलाम्बा देवी मंदिर – आस्था का केंद्र


तेलंगाना में स्थित जोगुलाम्बा मंदिर कृष्णा नदी के किनारे बना है और इसे शक्तिपीठों में गिना जाता है। यह स्थल धार्मिक पर्यटन का प्रमुख हिस्सा है।

14. कृष्णा नदी पर नौकायन और एडवेंचर स्पोर्ट्स


कृष्णा नदी के कई हिस्सों में अब नौकायन, राफ्टिंग और अन्य जलक्रीड़ाएँ शुरू हो चुकी हैं। खासकर नागार्जुन सागर और विजयवाड़ा के पास यह गतिविधियाँ पर्यटकों को रोमांच का अनुभव कराती हैं।

15. शोधकर्ताओं के लिए जैव विविधता का खजाना


कृष्णा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में अद्भुत जैव विविधता पाई जाती है। यहाँ की मछलियाँ, पक्षी और पौधों की प्रजातियाँ वैज्ञानिकों …


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