भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख अधिवेशन
1885 का कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। यह अधिवेशन दिसंबर 1885 में मुंबई के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में आयोजित किया गया था।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- अधिवेशन की तारीख: 28 से 30 दिसंबर 1885
- अध्यक्ष: व्योमेश चंद्र बनर्जी
- प्रतिनिधियों की संख्या: 72
- स्थल: गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज, मुंबई
अधिवेशन के उद्देश्य:
- राजनीतिक एकता: भारतीयों के बीच राजनीतिक एकता को बढ़ावा देना
- संवैधानिक सुधार: ब्रिटिश सरकार से संवैधानिक सुधारों की मांग करना
- भारतीय अधिकारों की रक्षा: भारतीयों के अधिकारों की रक्षा करना
महत्वपूर्ण व्यक्ति:
- एओ ह्यूम: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक
- व्योमेश चंद्र बनर्जी: कांग्रेस के पहले अध्यक्ष
1886 का कांग्रेस का अधिवेशन
1886 का कांग्रेस का अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह अधिवेशन दिसंबर 1886 में कलकत्ता के गुरुदास कॉलेज में आयोजित किया गया था।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- अधिवेशन की तारीख: 27 से 30 दिसंबर 1886
- अध्यक्ष: दादाभाई नौरोजी
- प्रतिनिधियों की संख्या: 436
- स्थल: गुरुदास कॉलेज, कलकत्ता
अधिवेशन के उद्देश्य:
- राष्ट्रीय एकता: भारतीयों के बीच राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना
- संवैधानिक सुधार: ब्रिटिश सरकार से संवैधानिक सुधारों की मांग करना
- भारतीय अधिकारों की रक्षा: भारतीयों के अधिकारों की रक्षा करना
1887 का कांग्रेस अधिवेशन
1887 का कांग्रेस अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह अधिवेशन दिसंबर 1887 में मद्रास के पार्क टाउन हॉल में आयोजित किया गया था।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- अधिवेशन की तारीख: 27 से 30 दिसंबर 1887
- अध्यक्ष: बदरुद्दीन तैयबजी (कांग्रेस के पहले मुस्लिम अध्यक्ष थे)
- प्रतिनिधियों की संख्या: 607
- स्थल: पार्क टाउन हॉल, मद्रास
अधिवेशन के उद्देश्य:
- राष्ट्रीय एकता: भारतीयों के बीच राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना
- संवैधानिक सुधार: ब्रिटिश सरकार से संवैधानिक सुधारों की मांग करना
- भारतीय अधिकारों की रक्षा: भारतीयों के अधिकारों की रक्षा करना
1888 का कांग्रेस अधिवेशन
1888 का कांग्रेस अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह अधिवेशन दिसंबर 1888 में इलाहाबाद के म्योर सेंट्रल कॉलेज में आयोजित किया गया था। जॉर्ज यूल इस अधिवेशन के अध्यक्ष थे। इस अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को मजबूती प्रदान की गई।
- स्थान: इलाहाबाद
- अध्यक्ष: जॉर्ज यूले (प्रथम अंग्रेज अध्यक्ष)
1896 का कांग्रेस अधिवेशन
1896 का कांग्रेस अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह अधिवेशन दिसंबर 1896 में कलकत्ता के मजूमदार गार्डन में आयोजित किया गया था। रहीमतुल्ला एम सयानी इस अधिवेशन के अध्यक्ष थे। इस अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को मजबूती प्रदान की गई। इस अधिवेशन में भारतीयों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए।
- स्थान: कलकत्ता
- अध्यक्ष: रहीमतुल्ला सयानी
- इस अधिवेशन में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम का पहली बार गायन किया गया।
1905 का कांग्रेस अधिवेशन
1905 का कांग्रेस अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह अधिवेशन दिसंबर 1905 में बनारस के गोकुलदास तेजपाल हॉल में आयोजित नहीं हुआ था, बल्कि यह अधिवेशन बनारस में ही हुआ था। गोपाल कृष्ण गोखले इस अधिवेशन के अध्यक्ष थे। इस अधिवेशन में बंगाल विभाजन के विरोध में प्रस्ताव पारित किया गया। इस अधिवेशन में स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।
- स्थान: वारणसी
- अध्यक्ष: गोपाल कृष्ण गोखले
- स्वदेशी आंदोलन का समर्थन
1906 का कांग्रेस अधिवेशन
1906 का कांग्रेस अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह अधिवेशन दिसंबर 1906 में कलकत्ता के टाउन हॉल में आयोजित किया गया था। दादाभाई नौरोजी इस अधिवेशन के अध्यक्ष थे। इस अधिवेशन में स्वराज की मांग की गई थी। इस अधिवेशन में स्वदेशी आंदोलन और बहिष्कार आंदोलन को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।
महत्वपूर्ण निर्णय:
- स्वराज की मांग: इस अधिवेशन में पहली बार स्वराज की मांग की गई थी।
- स्वदेशी आंदोलन: स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया।
- बहिष्कार आंदोलन: बहिष्कार आंदोलन को भी बढ़ावा देने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया।
- स्थान: कलकत्ता
- अध्यक्ष: दादा भाई नैरोजी
- इस अधिवेशन में पहली बार स्वराज शब्द का प्रयोग किया गया।
1907 का कांग्रेस अधिवेशन
1907 का कांग्रेस अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह अधिवेशन दिसंबर 1907 में सूरत में आयोजित किया गया था। रास बिहारी घोष इस अधिवेशन के अध्यक्ष थे। इस अधिवेशन में कांग्रेस के नरमपंथी और गरमपंथी धड़ों के बीच मतभेद उजागर हुए।
महत्वपूर्ण घटनाएं:
- कांग्रेस का विभाजन: इस अधिवेशन में कांग्रेस के नरमपंथी और गरमपंथी धड़ों के बीच मतभेद के कारण कांग्रेस का विभाजन हुआ।
- गरमपंथियों का बहिष्कार: गरमपंथी नेताओं को कांग्रेस से बहिष्कृत कर दिया गया।
- स्थान: सूरत
- अध्यक्ष: रास बिहारी घोष
- इस अधिवेशन में कांग्रेस का विभाजन
1911 का कांग्रेस अधिवेशन
1911 का कांग्रेस अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह अधिवेशन दिसंबर 1911 में कलकत्ता में आयोजित किया गया था। बिशन नारायण धर इस अधिवेशन के अध्यक्ष थे। इस अधिवेशन में ब्रिटिश सरकार की नीतियों की आलोचना की गई और भारतीयों के अधिकारों की मांग की गई।
महत्वपूर्ण घटनाएं:
- बंगाल विभाजन की वापसी: इस अधिवेशन से पहले ब्रिटिश सरकार ने बंगाल विभाजन को वापस लेने की घोषणा की थी, जिसका कांग्रेस ने स्वागत किया।
- भारतीय अधिकारों की मांग: इस अधिवेशन में भारतीयों के अधिकारों और स्वशासन की मांग की गई।
- स्थान: कलकत्ता
- अध्यक्ष: विशन नारायण दर
- इस अधिवेशन में पहली बार जन गण मन का गान किया गया।
1916 का कांग्रेस अधिवेशन
1916 का कांग्रेस अधिवेशन लखनऊ में आयोजित किया गया था, जिसकी अध्यक्षता अंबिकाचरण मजूमदार ने की थी। यह अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी, क्योंकि इसमें कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच लखनऊ समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत, दोनों दलों ने संयुक्त रूप से ब्रिटिश सरकार के सामने अपने राजनीतिक मांगों को प्रस्तुत करने का निर्णय लिया।
महत्वपूर्ण घटनाएं:
- कांग्रेस और मुस्लिम लीग का समझौता: लखनऊ समझौता भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच हुआ था, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के सामने संयुक्त रूप से अपने राजनीतिक मांगों को प्रस्तुत करना था।
- हिंदू-मुस्लिम एकता: इस अधिवेशन में हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए थे।
- स्वराज की मांग: इस अधिवेशन में स्वराज की मांग की गई थी और ब्रिटिश सरकार से भारत को अधिक स्वायत्तता देने की मांग की गई थी।
लखनऊ अधिवेशन के परिणाम:
- राष्ट्रीय एकता: लखनऊ अधिवेशन ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच एकता को बढ़ावा दिया और राष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता को बढ़ावा दिया।
- स्वतंत्रता आंदोलन: इस अधिवेशन ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- स्थान: लखनऊ
- अध्यक्ष: अम्बिकचरण मजूमदार
- इस अधिवेशन में कांग्रेस-लीग के बीच लखनऊ पैक्ट (पृथक निर्वाचन स्वीकार)
- नरम दल और गरम दल एक हुए।
1917 का कांग्रेस अधिवेशन
1917 का कांग्रेस अधिवेशन कलकत्ता में आयोजित किया गया था, जिसकी अध्यक्षता डॉ. एनी बेसेंट ने नहीं की थी, बल्कि अध्यक्षता बी एन धर ने की थी । इस अधिवेशन में भारतीयों के अधिकारों और स्वशासन की मांग की गई थी।
महत्वपूर्ण घटनाएं:
- होम रूल आंदोलन: इस अधिवेशन में होम रूल आंदोलन को समर्थन दिया गया था, जिसका उद्देश्य भारत को ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर स्वायत्तता प्राप्त करना था।
- स्वराज की मांग: इस अधिवेशन में स्वराज की मांग की गई थी और ब्रिटिश सरकार से भारत को अधिक स्वायत्तता देने की मांग की गई थी।
- स्थान: कलकत्ता
- अध्यक्ष: एनी बेसेंट (कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष बनी)
- तीन महिलाएं कांग्रेस की अध्यक्ष बनी: 1917 में एनी बेसेंट, 1925 में सरोजिनी नायडू (प्रथम भारतीय महिला), 1933 में नलनी सेन गुप्ता।
1919 का कांग्रेस अधिवेशन
1919 का कांग्रेस अधिवेशन अमृतसर में आयोजित किया गया था। इस अधिवेशन की अध्यक्षता मोतीलाल नेहरू ने की थी।
महत्वपूर्ण घटनाएं:
- जलियाँवाला बाग हत्याकांड: इस अधिवेशन में जलियाँवाला बाग हत्याकांड की निंदा की गई थी और ब्रिटिश सरकार से इसके लिए न्याय की मांग की गई थी।
- मोंटेगू-चेम्सफोर्ड सुधार: इस अधिवेशन में मोंटेगू-चेम्सफोर्ड सुधार की आलोचना की गई थी और अधिक व्यापक सुधारों की मांग की गई थी
- स्थान: अमृतसर
- अध्यक्ष: मोती लाल नेहरू (दो बार अध्यक्ष बने: 1919, 1928)
1920 का कांग्रेस अधिवेशन
1920 का कांग्रेस अधिवेशन दो महत्वपूर्ण सत्रों में आयोजित किया गया था - कलकत्ता और नागपुर।
कलकत्ता सत्र (विशेष सत्र)
- अध्यक्ष: लाला लाजपत राय
- महत्वपूर्ण निर्णय: महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव पेश किया, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के साथ सहयोग बंद करना और स्वराज की मांग करना था
नागपुर सत्र
- अध्यक्ष: सी. विजयाराघवचारियार
- महत्वपूर्ण निर्णय:
- कांग्रेस की कार्य समिति का पुनर्गठन भाषाई आधार पर किया गया
- कांग्रेस ने असहयोग आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया
- महात्मा गांधी ने कहा कि यदि असहयोग आंदोलन पूरी तरह से लागू किया जाए, तो एक वर्ष के भीतर स्वराज प्राप्त हो सकता है
- महत्वपूर्ण उपस्थिति: महात्मा गांधी, मोहम्मद अली जिन्ना, मोतीलाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय, सरदार पटेल और अन्य प्रमुख नेता उपस्थित थे
- स्थान: नागपुर
- अध्यक्ष: वीर राघवाचारी
- असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ।
- कांग्रेस द्वारा पहली बार भाषाई आधार पर प्रान्तों के गठन की बात की गई।
1929 का कांग्रेस अधिवेशन
1929 का कांग्रेस अधिवेशन लाहौर में आयोजित किया गया था, जिसकी अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इस अधिवेशन में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे।
महत्वपूर्ण घटनाएं:
- पूर्ण स्वराज की मांग: इस अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज की मांग की थी और 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था।
- नमक सत्याग्रह की तैयारी: इस अधिवेशन में नमक सत्याग्रह की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे, जो बाद में महात्मा गांधी के नेतृत्व में आयोजित किया गया था।
अन्य महत्वपूर्ण बातें:
- जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता: जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में इस अधिवेशन ने कांग्रेस के युवा नेतृत्व को मजबूत किया था।
- पूर्ण स्वराज की घोषणा: इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की घोषणा ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा और गति प्रदान की थी।
- स्थान: लाहौर
- अध्यक्ष: जवाहर लाल नेहरू
- इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित हुआ।
- 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस मनाने का निश्चय किया गया।
1931 का कांग्रेस अधिवेशन
1931 का कांग्रेस अधिवेशन कराची में आयोजित किया गया था। इस अधिवेशन की अध्यक्षता सरदार वल्लभभाई पटेल ने की थी।
महत्वपूर्ण घटनाएं:
- गांधी-इरविन समझौता: इस अधिवेशन में गांधी-इरविन समझौते को मंजूरी दी गई थी, जिसके तहत ब्रिटिश सरकार ने नमक सत्याग्रह के दौरान गिरफ्तार किए गए लोगों को रिहा करने और अन्य मांगों को स्वीकार करने का वादा किया था।
- मौलिक अधिकारों का प्रस्ताव: इस अधिवेशन में मौलिक अधिकारों और आर्थिक नीति के बारे में एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें भारतीयों के मौलिक अधिकारों और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल थे।
- स्थान: कराची
- अध्यक्ष: बल्लभ भाई पटेल
- इस अधिवेशन में मौलिक अधिकार सम्बन्धी प्रस्ताव पारित किया गया।
- इसी अधिवेशन में गांधी ने कहा था "गांधी मर सकते हैं परन्तु गांधीवाद नहीं।"
1936 का कांग्रेस अधिवेशन
1936 का कांग्रेस अधिवेशन फैजपुर में आयोजित किया गया था, जिसकी अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की थी। यह अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी।
महत्वपूर्ण घटनाएं:
- किसानों और मजदूरों के अधिकार: इस अधिवेशन में किसानों और मजदूरों के अधिकारों की मांग की गई थी और उनके हितों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए थे।
- आर्थिक नीति: इस अधिवेशन में आर्थिक नीति के बारे में महत्वपूर्ण चर्चा हुई थी और कांग्रेस ने अपनी आर्थिक विचारधारा को और मजबूत किया था।
- स्थान: लखनऊ
- अध्यक्ष: जवाहर लाल नेहरू
- इसी अधिवेशन में नेहरू ने कहा "मैं समाजवादी हूँ।"
1938 का कांग्रेस अधिवेशन
यह अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी।
महत्वपूर्ण घटनाएं:
- राष्ट्रीय योजना समिति का गठन: इस अधिवेशन में राष्ट्रीय योजना समिति का गठन किया गया था, जिसकी अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इसका उद्देश्य भारत के आर्थिक विकास के लिए एक व्यापक योजना बनाना था।
- फेडरल स्ट्रक्चर की अस्वीकृति: कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रस्तावित फेडरल स्ट्रक्चर को अस्वीकार कर दिया था, जो भारत सरकार अधिनियम 1935 में प्रस्तावित था।
- पूर्ण स्वराज की मांग: इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की मांग की गई थी और ब्रिटिश सरकार से भारत को अधिक स्वायत्तता देने की मांग की गई थी।
अन्य महत्वपूर्ण बातें:
- सुभाष चंद्र बोस और गांधी के बीच मतभेद: इस अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी के बीच मतभेद उभर कर सामने आए थे। बोस ने औद्योगिकीकरण और केंद्रीय योजना की वकालत की, जबकि गांधी ने ग्रामीण विकास और अहिंसा पर जोर दिया।
- कांग्रेस की रणनीति: इस अधिवेशन में कांग्रेस ने अपनी रणनीति को और मजबूत किया था और ब्रिटिश सरकार के साथ बातचीत के लिए एक मजबूत मंच तैयार किया था।
- स्थान: हरिपुरा (गुजरात)
- अध्यक्ष: सुभाष चंद्र बोस
- इसी अधिवेशन में राष्ट्रीय नियोजन समिति का गठन।
1939 का कांग्रेस अधिवेशन
1939 का कांग्रेस अधिवेशन त्रिपुरी में आयोजित किया गया था। इस अधिवेशन की अध्यक्षता सुभाष चंद्र बोस ने की थी, लेकिन उनकी तबीयत खराब होने के कारण अध्यक्षता का कार्यभार जवाहरलाल नेहरू और अन्य नेताओं ने संभाला था।
महत्वपूर्ण घटनाएं:
- द्वितीय विश्व युद्ध: इस अधिवेशन के दौरान द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हुई थी, और कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार से भारत की स्वायत्तता की मांग की थी।
- सुभाष चंद्र बोस और गांधी के बीच मतभेद: सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी के बीच मतभेद इस अधिवेशन में भी जारी रहे, और अंततः बोस ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और बाद में फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की थी।
- स्थान: त्रिपुरी (जबलपुर, मध्यप्रदेश)
- अध्यक्ष: सुभाष चंद्र बोस
- इसी अधिवेशन में गांधी जी से विवाद होने के कारण सुभाष द्वारा त्यागपत्र दिया गया तथा राजेन्द्र प्रसाद को अध्यक्ष बनाया गया।
1940 का कांग्रेस अधिवेशन
1940 का कांग्रेस अधिवेशन रामगढ़ में आयोजित किया गया था, जिसकी अध्यक्षता मौलाना अबुल कलाम आजाद ने की थी। इस अधिवेशन में कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार की युद्ध नीतियों की आलोचना की और भारत की स्वायत्तता की मांग की।
महत्वपूर्ण घटनाएं:
- ब्रिटिश सरकार की युद्ध नीतियों की आलोचना: कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार पर आरोप लगाया कि वह भारत को बिना उसकी सहमति के युद्ध में घसीट रही है।
- स्वायत्तता की मांग: कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वायत्तता देने की मांग की और ब्रिटिश सरकार से कहा कि वह भारत की स्वायत्तता की मांग को स्वीकार करे।
- अगस्त प्रस्ताव: इस अधिवेशन के दौरान ब्रिटिश सरकार ने अगस्त प्रस्ताव पेश किया, जिसमें भारत को डोमिनियन स्टेटस देने का वादा किया गया था, लेकिन कांग्रेस ने इसे ठुकरा दिया।
- व्यक्तिगत सत्याग्रह: कांग्रेस ने व्यक्तिगत सत्याग्रह शुरू करने का निर्णय लिया, जिसमें महात्मा गांधी ने व्यक्तिगत रूप से सत्याग्रह करने का फैसला किया।
अधिवेशन का महत्व:
- कांग्रेस की रणनीति: रामगढ़ अधिवेशन में कांग्रेस ने अपनी रणनीति को और मजबूत किया और ब्रिटिश सरकार के साथ बातचीत के लिए एक मजबूत मंच तैयार किया।
- स्वतंत्रता आंदोलन: इस अधिवेशन ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा और गति प्रदान की।
- स्थान: रामगढ़
- अध्यक्ष: अबुल कलाम आजाद
- ये सबसे लंबे समय तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे (1940-1945 तक)।
1947 का कांग्रेस अधिवेशन
1947 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन मेरठ में आयोजित किया गया था, जिसकी अध्यक्षता जे.बी. कृपलानी ने की थी। इस अधिवेशन में अंतरिम सरकार के गठन में भागीदारी का समर्थन किया गया था, जिससे भारत की स्वतंत्रता के लिए बातचीत शुरू हुई। यह अधिवेशन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था, क्योंकि यह भारत की स्वतंत्रता से ठीक पहले आयोजित किया गया था
- अध्यक्ष: जे.बी. कृपलानी
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