उपराष्ट्रपति से सम्बंधित अनुच्छेद
अनुच्छेद-63
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 में भारत के उपराष्ट्रपति के बारे में उल्लेख किया गया है। इस अनुच्छेद के अनुसार, भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा, जो राज्यसभा का पदेन सभापति होगा।
अनुच्छेद 63 के मुख्य बिंदु:
- भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा।
- उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होगा।
- उपराष्ट्रपति के कार्यों और शक्तियों का वर्णन संविधान में किया गया है।
अनुच्छेद 63 का महत्व:
- यह अनुच्छेद भारत के उपराष्ट्रपति की भूमिका और जिम्मेदारियों को परिभाषित करता है।
- उपराष्ट्रपति का पद भारतीय संविधान में एक महत्वपूर्ण पद है।
अनुच्छेद-64
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 64 में राज्यसभा के सभापति के बारे में उल्लेख किया गया है। इस अनुच्छेद के अनुसार, भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होगा।
अनुच्छेद 64 के मुख्य बिंदु:
- उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होगा।
- सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति की भूमिका और जिम्मेदारियों का वर्णन संविधान में किया गया है।
अनुच्छेद 64 का महत्व:
- यह अनुच्छेद राज्यसभा के सभापति की भूमिका और जिम्मेदारियों को परिभाषित करता है।
- उपराष्ट्रपति के रूप में राज्यसभा के सभापति का पद भारतीय संविधान में एक महत्वपूर्ण पद है।
अनुच्छेद-65
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 65 में राष्ट्रपति के पद में रिक्ति के दौरान उपराष्ट्रपति के कार्यों के बारे में उल्लेख किया गया है। इस अनुच्छेद के अनुसार, यदि राष्ट्रपति के पद में रिक्ति होती है, तो उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के कार्यों को संभालेंगे।
अनुच्छेद 65 के मुख्य बिंदु:
- यदि राष्ट्रपति के पद में रिक्ति होती है, तो उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के कार्यों को संभालेंगे।
- उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के कार्यों को तब तक संभालेंगे जब तक कि नए राष्ट्रपति का चुनाव नहीं हो जाता।
अनुच्छेद 65 का महत्व:
- यह अनुच्छेद राष्ट्रपति के पद में रिक्ति के दौरान देश के शासन को सुचारु रूप से चलाने के लिए एक व्यवस्था प्रदान करता है।
- उपराष्ट्रपति की भूमिका राष्ट्रपति के कार्यों को संभालने में महत्वपूर्ण है।
अनुच्छेद-66
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66 में उपराष्ट्रपति के चुनाव के बारे में उल्लेख किया गया है। इस अनुच्छेद के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से किया जाएगा।
अनुच्छेद 66 के मुख्य बिंदु:
- उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा किया जाएगा।
- चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से होगा।
अनुच्छेद 66 का महत्व:
- यह अनुच्छेद उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया को परिभाषित करता है।
- उपराष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
अनुच्छेद-67
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 में उपराष्ट्रपति की पदावधि के बारे में उल्लेख किया गया है। इस अनुच्छेद के अनुसार, उपराष्ट्रपति की पदावधि पांच वर्ष होगी, जो उसके पद ग्रहण की तारीख से शुरू होगी।
अनुच्छेद 67 के मुख्य बिंदु:
- उपराष्ट्रपति की पदावधि पांच वर्ष होगी।
- पदावधि उपराष्ट्रपति के पद ग्रहण की तारीख से शुरू होगी।
अनुच्छेद 67 का महत्व:
- यह अनुच्छेद उपराष्ट्रपति की पदावधि को परिभाषित करता है।
- उपराष्ट्रपति की पदावधि की निश्चितता देश के शासन में स्थिरता और निरंतरता को बढ़ावा देती है।
अनुच्छेद-68
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 68 में उपराष्ट्रपति के पद की रिक्ति के समय और ऐसे पद को भरने के लिए चुनाव के बारे में उल्लेख किया गया है। इस अनुच्छेद के अनुसार, यदि उपराष्ट्रपति के पद में रिक्ति होती है, तो नए उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए रिक्ति की तारीख से अधिकतम छह महीने के भीतर चुनाव कराया जाएगा।
अनुच्छेद 68 के मुख्य बिंदु:
- उपराष्ट्रपति के पद में रिक्ति होने पर नए उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए छह महीने के भीतर चुनाव कराया जाएगा।
- रिक्ति की तारीख से नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
अनुच्छेद 68 का महत्व:
- यह अनुच्छेद उपराष्ट्रपति के पद में रिक्ति के समय नए उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए समय सीमा निर्धारित करता है।
- इससे देश के शासन में स्थिरता और निरंतरता को बनाए रखने में मदद मिलती है।
अनुच्छेद-69
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 69 में उपराष्ट्रपति के पद के लिए शपथ या प्रतिज्ञान के बारे में उल्लेख किया गया है। इस अनुच्छेद के अनुसार, उपराष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने से पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनकी अनुपस्थिति में उच्चतम न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के समक्ष शपथ या प्रतिज्ञान लेंगे।
अनुच्छेद 69 के मुख्य बिंदु:
- उपराष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने से पहले शपथ या प्रतिज्ञान लेंगे।
- शपथ या प्रतिज्ञान भारत के मुख्य न्यायाधीश या उच्चतम न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के समक्ष ली जाएगी।
अनुच्छेद 69 का महत्व:
- यह अनुच्छेद उपराष्ट्रपति के पद के लिए शपथ या प्रतिज्ञान की प्रक्रिया को परिभाषित करता है।
- इससे उपराष्ट्रपति के पद की गरिमा और महत्व को बनाए रखने में मदद मिलती है।
अनुच्छेद-70
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 70 में अन्य आकस्मिकताओं में राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन के बारे में उल्लेख किया गया है। इस अनुच्छेद के अनुसार, यदि कोई ऐसी आकस्मिकता उत्पन्न होती है जो संविधान में प्रावधान नहीं है, तो संसद द्वारा बनाए गए कानून के अनुसार राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन किया जाएगा।
अनुच्छेद 70 के मुख्य बिंदु:
- आकस्मिकताओं में राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन संसद द्वारा बनाए गए कानून के अनुसार होगा।
- यह अनुच्छेद उन स्थितियों के लिए प्रावधान करता है जो संविधान में विशेष रूप से नहीं दी गई हैं।
अनुच्छेद 70 का महत्व:
- यह अनुच्छेद आकस्मिक स्थितियों में राष्ट्रपति के कर्तव्यों के निर्वहन के लिए एक व्यवस्था प्रदान करता है।
- इससे देश के शासन में स्थिरता और निरंतरता को बनाए रखने में मदद मिलती है।
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