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Tribes of Bastar ! बस्तर की जनजातियों से जुडी रोचक जानकारी

जानें बस्तर की जनजातियों से जुडी रोचक जानकारी / Tribes of Bastar Information in Hindi

Tribes of Bastar Information in Hindi
Tribes of Bastar Information
आधुनिक भारत में आज भी कई ऐसे स्थान है जहां पर बरसों से चली आ रही जनजातियां निवास करती है.यु तो भारतीय इतिहास में आदिवासी जनजाति संस्कृति का बहुत महत्व है. लेकिन समय के साथ बहुत सी जनजातियों ने स्वयं में बदलाव किये है. जैसे हलबा व् भतरा जनजाति इत्यादि.
अगर संपूर्ण विश्व की बात की जाए तो सबसे ज्यादा जनजातियां (Tribes of Bastar Information) भारत में पाई जाती है जैसे कोल, भील, पहाड़िया, कमार, थारू जनजाति इत्यादि

लेकिन आज हम आपको बस्तर में पाई जाने वाली प्राचीन समय से लेकर अब तक चली आ रही जनजातियों के बारे में बताने जा रहे हैं. ये जनजातियां बस्तर व् बस्तर के आस पास के इलाको  में निवास करती है. तो चलिए जानते हैं इन जनजातियों के बारे में (Tribes of Bastar Information in Hindi)

जनजाति का अर्थ


जनजाति को समझने के लिए पहले हमें प्रकृति व जंगलों में रहने वाले मनुष्य के समुदाय को बारीकी से समझना चाहिए.

जनजाति वह होती है जो सभी लोगों से दूर पर्वतों,जंगलों, वनो इत्यादि में निवास करती हैं. जिन की भाषा अलग होती है जो भूत-प्रेत, दैवी शक्तियों में बेहद विश्वास रखते हैं. जिन का व्यवसाय जंगली शिकार व् जंगली पेड़ पोधो पर निर्भर रहता है

जंगलो में पाई जाने वाली लगभग 90 % जनजातीय असभ्य व् हिंसक होती है.जिस प्रकार जंगली जानवर अपने इलाके की रक्षा के लिए अपनी जान तक दे सकता है ठीक इसी प्रकार ये जनजातीया अपने इलाके की रक्षा करती है. अमूमन सभी जनजाती माँसाहारी होती है.

भारत के बस्तर इलाके में पाई जाने वाली जनजातियां


बस्तर में पाई जाने वाली जनजातियों से पहले आपको बस्तर इलाके के बारे में समझना होगा. बस्तर एक जिला है जो चार संस्कृतियों से घिरा हुआ है इसके चारों तरफ छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और महाराष्ट्र की सीमाएं लगती है. इस जिले के जंगलो में हजारों सालों से विभिन्न जनजातियाँ निवास करती हैं जिनमे से प्रमुख जनजातियों का विवरण इस प्रकार है :

Tribes of Bastar Information in Hindi
Tribes of Bastar Information in Hindi

1. माडिया जनजाति


माडिया जनजाति बस्तर के जंगलों में पाई जाने वाली जनजाति है. यह जनजाति बस्तर के पहाड़ी इलाकों व् जंगलों में निवास करती है. माडिया जनजाति को दो भागों में बांटा गया है  1. अबुझ माड़िया  2. दण्डामी माड़िया (बाईसन होर्न माड़िया)

अबूझ मडिया पहाड़ों के घने जंगलों में निवास करती है व् दण्डामी माड़िया समतल इलाके के जंगलों में निवास करती है.ये लोग माड़िया भाषा बोलते है.
इन दोनों जनजातियों की संस्कृति आपस में मिलती जुलती है और यह दोनों ही जनजातियां बाहरी लोगों का अपने इलाके में आना पसंद नहीं करती.

जब भी कोई व्यक्ति इनके इलाके में प्रवेश करता है तो यह असहज महसूस करते हैं व् बाहरी व्यक्ति पर तीर कमान से हमला कर देते हैं. हमले के बाद इस जनजाति के लोग कर्कश ध्वनि के द्वारा अपनी ताकत का एहसास कराते हैं.

माडिया जनजाति के पुरुषों का स्वभाव नटखट व् नाच गाने वाला होता है. यह लोग शराब के शौकीन होते हैं.इस जनजाति लोग अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए अपने देवताओं के सम्मान में लकड़ियों के द्वारा आग जला कर उसके चारों ओर नृत्य करते हैं.

माडिया जनजाति सर्वाहारी जनजातियों की श्रेणी में आती है. इस जनजाति के लोग बहुत बहादुर होते है व् इस जनजाति के पुरुष शिकार के लिए बाघ, भालू, तेंदवे से भी लोहा लेने से नहीं कतराते. यु तो माडिया जनजाति बाघ का बेहद सम्मान करती है परंतु जब बाघ इन पर हमला करता है तो आत्म रक्षा में बाघ को भी मार सकते है.माड़िया लोगो में घोटुल परंपरा का पालन होता है व् यह लोग काकसार नाम के कुल देवता की अराधना करते हैं.

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2. हलबा जनजाति


हलबा जनजाति छत्तीसगढ़ (बस्तर) में पाई जाने वाली एक विशाल जनजाति है इस जनजाति के लोग छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के इलाकों में निवास करते हैं. प्राचीन समय में यह जनजाति भी जंगलों में रहती थी परंतु आज के समय में इस जनजाति के लोग गावो की तरफ भी पलायन कर रहे हैं.हलबा जनजाति 17 वीं शताब्दी में बस्तर राज्य के प्रमुख और सबसे प्रभावशाली जनजातीय समूहों में से एक थीं व् उस समय हलबा जनजाति बस्तर राज्य की राजनीति और सेना में सक्रिय थीं.

देश के विभिन्न हिस्सों में प्रवास के बाद हलबा जनजाति ने अपनी आजीविका के लिए अलग-अलग व्यवसाय को अपना लिया . जैसे कृषि, बुनाई, मजदूरी इत्यादि

हल्बा जनजाति की भाषा हल्बी है, जो मराठी और ओडिया का संयोजन से बनी है व् ये लोग देवी माँ दंतेश्वरी की पूजा करते है.

Tribes of Bastar Information in Hindi
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3. भतरा जनजाति


भतरा जनजाति प्राचीन काल में सम्पूर्ण बस्तर जिले में फैली हुई थी इस जनजाति के लोग कला और नाटक प्रेमी होते थे. इन्हें पेंटिंग करना व् नाच गाना पसंद था. परंतु समय के साथ इस जनजाति के लोगो ने खुद में बदलाव किया और यह भी समय की दौड़ के साथ चलना सिख गए..आज भतरा जनजाति के लोगों ने आधुनिक बनना शुरू कर दिया है. इस जनजाति के लोग आज कल शहरों में रोजगार की लिए निवास करते हैं. प्राचीन समय में इस जनजाति के लोगो का प्रिय भोजन केकड़ा व् पक्षियों का मॉस था.

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4. मुरिया जनजाति 


मुरिया जनजाति को बस्तर की मूल जनजाति कहा जाता है अर्थात इस जनजाति के लोग हमेशा से इस इलाके में रहे हैं इस जनजाति के लोगों को श्रृंगार करना व कलात्मक वस्तुएं बनाना पसंद है. मुरिया जनजाति में माओपाटा के रूप में एक आदिम शिकार नृत्य किया जाता है जिसमे इस जनजाति के सभी पुरुष बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है.

नृत्य के समय युवा पुरुष नर्तक अपनी कमर में पीतल अथवा लोहे की घंटियां बांधे रहते है व् साथ में छतरी और सिर पर आकर्षक सजावट कर नृत्य करते है.


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