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Kol Rebellion ! ब्रिटिश सरकार के खिलाफ किया गया एक सफल विद्रोह - कोल विद्रोह से जुड़ी संपूर्ण जानकारी

जानें कोल विद्रोह से जुड़ी संपूर्ण जानकारी / Kol Vidroh History in Hindi


Kol Vidroh History in Hindi
कोल विद्रोह जिसे मुण्डा विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है. भारत के इतिहास में अंग्रेजों के खिलाफ किया गया एक महत्वपूर्ण विद्रोह था. इस विद्रोह के तहत कोल जनजाति के लोगों ने अंग्रेजों द्वारा किए गए शोषण का बदला लेने के लिए विद्रोह की चिंगारी को जलाया था. जो समय के साथ एक विशाल विद्रोह में बदल गया जिसे कोल विद्रोह के नाम से जाना गया.

कोल कौन थे ? 


कोल प्राचीनकाल में मध्य भारत (छोटा नागपुर) के जंगलों व जंगलों के आस पास के गांव में निवास करने वाली विशाल जनजाति थी. इस जनजाति के लोग कृषि पर निर्भर रहते थे. ये लोग खेती-बाड़ी कर व्  पशुओं को पाल कर अपना जीवन यापन करते थे. कोल जनजाति के लोग कृषि द्वारा उगाई गई फसल के आदान प्रदान का व्यापार करते थे. इस जनजाति का मूल स्थान मध्य प्रदेश के रीवा जिले का कुराली क्षेत्र था.

Kol Vidroh History in Hindi

मध्यकाल तक कोल जनजाति का जीवन सीमित जरूरतों के साथ आसानी से निर्वाह हो रहा था. परंतु औपनिवेशक काल (भारत में अंग्रेज़ों के शासन काल को औपनिवेशिक या उपनिवेश काल कहा जाता है. यह काल सन् 1760 से 1947 ई. तक माना जाता है) में कोल जनजाति की आर्थिक व् समाजिक स्थिति में उतर चढ़ाव आया.
औपनिवेशिक काल के दौरान ही कोल विद्रोह की छोटी आवाजों ने बड़ा रूप लिया था.

कोल विद्रोह क्यों हुआ व् इसकी शुरुआत कैसे हुई ?


कोल जनजाति के लोग औपनिवेशिक काल में जमीदारों से जमीन लीज पर ले कर उस जमींन पर खेती किया करते हैं. वह खेती के लिए ऋण साहूकारों से लेते हैं. धीरे धीरे कोलो पर ऋण का बोझ बढ़ता चला गया व् जमींदारों द्वारा भी उनका खूब शोषण किया गया.

अब कोलो को इस विकट स्थिति से उभारने का एकमात्र सहारा ब्रिटिश सरकार थी. कोल जनजाति को भी ब्रिटिश सरकार पर पूरा पूरा भरोसा था कि ब्रिटिश सरकार उनके हक के लिए सरकारी कदम जरूर उठाएगी. परंतु ब्रिटिश सरकार ने उनकी स्थिति को सुधारने की वजाय और बिगाड़ दिया..
ब्रिटिश सरकार द्वारा कोलो पर पहले से अधिक कर(Tex) लगा दिए गए व् ब्रिटिश सरकार को भूमि कर नहीं देने पर उनकी जमींन को नीलाम कर दिया जाता था.इसके अतिरिक्त अंगेज भी कोलों पर अनेक प्रकार के अत्याचार करने लगे. जिसके कारण कोल जनजाति की स्थिति और दयनीय हो गई.



अतः कोल जनजाति ने शोषण के विरुद्ध 1831 ई. में सुर्गा' और 'सिगराय के नेतत्व में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह किया.

कोल विद्रोह का पतन


कोल विद्रोह की छोटी सी चिंगारी देख़ते ही देख़ते एक विशाल विद्रोह में बदल गई व् कई और जनजातियों ने इस विद्रोह में साथ देना शुरू कर दिया. कोलों द्वारा सरकारी संपत्ति , भवन इत्यादि को कब्जे में लिया जाने लगा व् अंगेज अफसरों को अपने इलाके से खदेड़ा जाने लगा.

परिणाम स्वरूप ब्रिटिश सरकार इस विद्रोह से बेहद डर चुकी थी व् उसने इस विद्रोह को कुचलने की योजना बनाई. अतः ब्रिटिश सरकार ने सेना के द्वारा इस विद्रोह की ताकत को कम करने की योजना तैयार की व् इस विद्रोह को कुचलने में कामयाब रही.

कोल विद्रोह निष्कर्ष


कोल विद्रोह की समाप्ति के बाद ब्रिटिश सरकार को कोल जनजाति के सुधार के लिए मजबूर होना पड़ा व् कोलों की स्थिति को सुधारने के लिए सरकारी कदम उठाने पड़े.  ब्रिटिश सरकार द्वारा 1833 में बंगाल अधिनियम पारित किया गया. जिसके अनुसार छोटा नागपुर क्षेत्र को विनियमन मुक्त क्षेत्र घोषित कर दिया गया. इस विनियमन कानून को गवर्नर जनरल के एक एजेंट के अधीन रखा गया ताकि इस क्षेत्र की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके.

इसके पश्चात 1837 में कोल राज्य की स्थापना कर दी गई और इस प्रकार कोल विद्रोह भारत का ब्रिटिश सरकार के खिलाफ किया गया एक सफल विद्रोह कहलाया.

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