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पानीपत के इतिहास से जुड़े महत्वपूर्ण युद्ध की जानकारी

पानीपत के इतिहास से जुड़े महत्वपूर्ण युद्ध की जानकारी 

पानीपत का पहला युद्ध (1526):


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Panipat Battle

हिंदुस्तान के सुल्तान इब्राहिम लोदी व बाबर के बीच पानीपत के मैदान में पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ जो की 12 अप्रैल 1526 को लड़ा गया था जिसमें बाबर ने जीत हासिल की और मुगल साम्राज्य की स्थापना की। इब्राहिम लोधी की हार होने के बाद  मुगलों ने केवल हरियाणा पर ही नहीं, बल्कि पूरे भारत पर अधिकार कर लिया।इस युद्ध में बाबर की सेना के  लगभग 1 लाख से ज्यादा सैनिको की मृत्यु हो गयी थी 1 लाख से ज्यादा सैनिको के मारे जाने के बावजूद भी बाबर ने लोदी वंश के सल्तनत काल  को समाप्त कर दिया प्रथम युद्ध होने के कारण ही बाबर ने भारत मे मुगल सम्राज्य की स्थापना की थी   

1. मुगल वंश की संस्थापक बाबर ने पहली बार इस युद्व में तोपखाने तथा तुगलुमा युद्ध नीति का प्रयोग किया था।

2.पानीपत के युद्ध भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसने देश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को बदला।

3. - पानीपत के युद्ध के परिणामस्वरूप मुगल साम्राज्य की स्थापना और मजबूती हुई, जबकि मराठा साम्राज्य को कमजोर किया गया।

4.पानीपत के प्रथम युद्ध में सुल्तान इब्राहिम लोदी जो की दिल्ली सल्तनत का  अंतिम शासक था जिसे युद्ध स्थल में  मार दिया गया था।

 

 पानीपत का दूसरा युद्ध (1556)

 पानीपत का दूसरा युद्ध अकबर और हेमू के बीच हुआ था, जिसमें अकबर ने जीत हासिल की और मुगल साम्राज्य को मजबूत किया।यह प्रसिद्ध युद्ध 5 नवंबर, 1556  में  बीच पानीपत के मैदान में लड़ा गया था इस युद्ध में हेमू की पराजय हुई थी।हेमू एक शक्तिशाली सेनापति था, जिसने दिल्ली पर कब्जा करने की महत्वाकांक्षा रखी थी।अकबर ने अपनी सैन्य रणनीति की मदद से हेमू को हराया था। इस युद्ध में अकबर की सेना का नेतृत्व बैरम खान कर रहे थे जिसमे अकबर व बैरम खान की बड़ी जीत हुई और  हेमू की हार हुई।  


पानीपत का तीसरा युद्ध (1761):

  पानीपत का तीसरा युद्ध अहमद शाह अब्दाली और मराठा सेना के बीच हुआ था, जिसमें अहमद शाह अब्दाली ने जीत हासिल की और मराठा साम्राज्य को कमजोर किया। यह युद्व 14 जनवरी, 1761 में लड़ा गया था अहमद शाह अब्दाली ने अपनी सैन्य रणनीति और सेना की मदद से मराठा सेना को हराया था। पानीपत के तीसरे युद्ध के बाद मराठा साम्राज्य कमजोर हो गया था और इसकी शक्ति घट गई थी।   इस युद्ध ने भारत की राजनीतिक स्थिति को बदला था और मुगल शक्ति के पतन को बढ़ावा दिया था।



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