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Famous River of Haryana ! हरियाणा की प्रमुख नदियों के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

 हरियाणा की प्रमुख नदियों  (Famous River of Haryana) के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य पढ़ें  

उत्तर - पूर्वी नदियां

Haryana River Facts in Hindi
Haryana River Facts in Hindi


घग्गर नदी

घग्गर नदी एक मौसमी नदी है जो बरसात के मौसम में रुक रुक कर बहती है। इस नदी का उद्गम स्थल शिमला  (हिमाचल प्रदेश) के शिवालिक की पहाड़ियों में डगशाई नामक स्थान है। जहां से निकालने के बाद पंचकुला के कालका से हरियाणा में प्रवेश करती है। आगे पंचकुला, अंबाला, कैथल, फतेहाबाद, सिरसा से होती हुई राजस्थान के मरुस्थल में जाकर विलुप्त हो जाती है।घग्गर नदी को हकरा नदी  के नाम से जाना जाता है। घग्गर नदी की कुल लंबाई लगभग 467 किलोमीटर है।

 

घग्गर नदी का उद्गम स्थल


घग्गर नदी का उद्गम स्थल हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले की शिवालिक पहाड़ियों में स्थित डगशाई नामक स्थान है। यहाँ से निकलने के बाद यह नदी हरियाणा और पंजाब राज्यों से होकर गुजरती है और राजस्थान के मरुस्थल में विलुप्त हो जाती है।


उद्गम स्थल की विशेषताएँ


- स्थान: डगशाई, शिमला जिला, हिमाचल प्रदेश

- पहाड़ियाँ: शिवालिक पहाड़ियाँ

- नदी की उत्पत्ति: यहाँ से घग्गर नदी निकलती है, जो एक मौसमी नदी है और बरसात के मौसम में रुक-रुक कर बहती है।


घग्गर नदी का हरियाणा में प्रवेश


घग्गर नदी हरियाणा में पंचकुला जिले से प्रवेश करती है, जो कालका के पास से होकर गुजरती है। यहाँ से नदी हरियाणा के विभिन्न जिलों से होकर गुजरती है, जिनमें पंचकुला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, फतेहाबाद और सिरसा शामिल हैं।


नदी के किनारे के प्रमुख शहर


- पंचकुला: हरियाणा का एक प्रमुख शहर जो घग्गर नदी के किनारे स्थित है।

- अंबाला: हरियाणा का एक महत्वपूर्ण शहर जो घग्गर नदी के किनारे स्थित है।

- कुरुक्षेत्र: हरियाणा का एक प्रमुख तीर्थ स्थल जो घग्गर नदी के किनारे स्थित है।


सहायक नदियां

मारकंडा नदी

सरस्वती नदी

टांगड़ी नदी

कौशल्या नदी


घग्गर नदी का विलुप्त स्थान


घग्गर नदी राजस्थान के मरुस्थल में विलुप्त हो जाती है। यह नदी हरियाणा और पंजाब राज्यों से होकर गुजरने के बाद राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र में पहुँचती है, जहाँ इसका जल विलुप्त हो जाता है।


विलुप्त होने के कारण


- मौसमी नदी: घग्गर नदी एक मौसमी नदी है, जो बरसात के मौसम में ही बहती है। शुष्क मौसम में इसका जल सूख जाता है।

- मरुस्थलीय क्षेत्र: राजस्थान का मरुस्थलीय क्षेत्र बहुत शुष्क है, जहाँ नदी का जल वाष्पीकरण और जमीन में समा जाने के कारण विलुप्त हो जाता है।


विलुप्त होने का महत्व


घग्गर नदी का विलुप्त होना इसके जल चक्र और आसपास के क्षेत्रों की जलवायु पर प्रभाव डालता है। इसके विलुप्त होने से आसपास के क्षेत्रों में जल की कमी हो सकती है और जल संचयन की समस्या उत्पन्न हो सकती है।


बांध

ओटू वीयर (बाँध): यह बांध सिरसा जिले के रानिया में बना है। इस बांध के बाद घग्गर नदी को हकरा नदी के नाम से जाना जाता है।

कौशल्या बांध : इस बांध का निर्माण पंचकुला जिले के पिंजौर में कौशल्या नदी पर 2008 से 2012 के दौरान बनाया किया गया था।


यमुना नदी (Yamuna River)


यमुना नदी भारत की एक प्रमुख नदी है गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है। यमुना नदी उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में स्थित बंदरपूँछ के यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है। यह नदी लगभग 1376 किलोमीटर की दूरी तय कर के इलाहाबाद (प्रयागराज) में गंगा नदी में मिल जाती है। (हरियाणा में लम्बाई 320 KM)


यमुना नदी का उद्गम स्थल


यमुना नदी का उद्गम स्थल यमुनोत्री ग्लेशियर है, जो उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यह ग्लेशियर हिमालय की पहाड़ियों में स्थित है और यमुना नदी का उद्गम स्थल माना जाता है।


यमुनोत्री ग्लेशियर की विशेषताएँ:


- स्थान: उत्तरकाशी जिला, उत्तराखंड

- ऊंचाई: लगभग 6,387 मीटर (20,955 फीट)

- महत्व: यमुनोत्री ग्लेशियर यमुना नदी का उद्गम स्थल है और हिंदू धर्म में एक पवित्र स्थल माना जाता है।


यमुनोत्री ग्लेशियर का महत्व:


- धार्मिक महत्व: यमुनोत्री ग्लेशियर हिंदू धर्म में एक पवित्र स्थल है और यमुना नदी का उद्गम स्थल होने के कारण इसका महत्व बहुत अधिक है।

- प्राकृतिक सौंदर्य: यमुनोत्री ग्लेशियर एक सुंदर और आकर्षक स्थल है, जो हिमालय की पहाड़ियों में स्थित है।


यमुना नदी का हरियाणा में प्रवेश


यमुना नदी हरियाणा राज्य के  यमुनानगर जिले के कलेसर से हरियाणा में प्रवेश करती है।  यहाँ से नदी हरियाणा के विभिन्न जिलों से होकर गुजरती है, जिनमें यमुनानगर, करनाल और पानीपत शामिल हैं।तथा हरियाणा की पूर्वी सीमा को उत्तर-प्रदेश से अलग करने का काम करती है।


हरियाणा में यमुना नदी का महत्व


- सिंचाई: यमुना नदी का पानी सिंचाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

- जल संचयन: यमुना नदी का जल संचयन भी बहुत महत्वपूर्ण है, और इसके लिए कई बांध और जलाशय बनाए गए हैं।


यमुना नदी के किनारे के प्रमुख शहर


- यमुनानगर: हरियाणा का एक प्रमुख शहर जो यमुना नदी के किनारे स्थित है।


सहायक नदियां

सोम्ब 

पथराला 

टोंस नदी: टोंस नदी यमुना की सबसे बड़ी सहायक नदी है


हरियाणा के प्रभावित जिले


यमुनानगर

करनाल

सोनीपत

पानीपत

पलवल

फ़रीदाबाद


विलय या विलुप्त स्थल

लगभग 320 किलोमीटर के सफर के बाद यमुना नदी फ़रीदाबाद जिले के हसनपुर से होकर उत्तर-प्रदेश के अलीगढ़ में प्रवेश कर जाती है। अतत: प्रयागराज (उत्तर-प्रदेश) में जाकर गंगा नदी के साथ मिलन करती है।

बांध

  • हथिनी कुंड (यमुनानगर): हथिनी कुंड बैराज यमुनानगर के ताजेवाले में है। 
  • आनंदपुर बांध (फरीदाबाद): आनंदपुर बांध दिल्ली-बडखल-सूरजपुर मार्ग पर स्थित है।
  • किशाऊ बांध
कुरुक्षेत्र 
कैथल 

 विलुप्त स्थल
सरस्वती नदी पंजाब के संगरूर जिले में जाकर  घग्गर नदी में समा जाती है। 

मारकंडा नदी


  मारकंडा नदी हरियाणा की एक महत्वपूर्ण नदी है, जो प्राचीन सरस्वती नदी की सहायक नदी मानी जाती है। यह नदी हरियाणा के शाहबाद मारकंडा क्षेत्र से होकर गुजरती है और इसका महत्व ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से है।मारकंडा नदी का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है।

सरस्वती नदी


सरस्वती नदी का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है, और इसका संबंध हरियाणा से भी जोड़ा जाता है। हरियाणा में सरस्वती नदी के अवशेष और निशान पाए गए हैं।सरस्वती नदी ऋग्वेदकालीन नदी है सरस्वती नदी के किनारे प्राचीन सभ्यता विकसित हुई थी, जो हरियाणा के इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। राखीगढ़ी और बानावाली जैसे पुरातात्विक स्थल सरस्वती नदी के अस्तित्व को दर्शाते हैं।सरस्वती नदी को हिंदू धर्म में एक पवित्र नदी माना जाता है, और इसका महत्व हरियाणा में भी है।सरस्वती नदी हरियाणा के इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसके अवशेष और निशान आज भी पाए जाते हैं।नरकातारी तीर्थ स्थल  सरस्वती नदी पर स्थित है। 

उद्गम स्थल

यह नदी हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की बर्फीली पहाड़ियों से निकलती है।

हरियाणा में प्रवेश

यमुनानगर 

हरियाणा के प्रभावित जिले

अम्बाला स नदी को अरुणा के नाम से भी जाना जाता था।  यह नदी हरियाणा की संस्कृति और इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है मारकंडा नदी शाहबाद मारकंडा क्षेत्र से होकर गुजरती है और इसका जल विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है। यह नदी हरियाणा के पर्यावरण और कृषि के लिए भी महत्वपूर्ण है।

उद्गम स्थल

मारकंडा नदी हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के नाहन के शिवालिक की पहाड़ियों से निकलती है।(धरतीपुर पर्वत से निकलती है)

हरियाणा में प्रवेश

मारकंडा नदी अम्बाला जिले से हरियाणा में प्रवेश करती है ।
 

सहायक नदि

घागर
 

हरियाणा के प्रभावित जिले


अम्बाला 
कुरुक्षेत्र 
कैथल
 

विलुप्त स्थल

मारकंडा नदी का अधिकांश जल सनिसा झील में गिरता है जहां यह सरस्वती नदी में समा जाती है। 

  बांध/झील

सनिसा झील 

टांगरी नदी

टाँगरी नदी का पंचकुला जिले के मोरनी हिल्स की पहाड़ियों से उद्गम होता है जिसे डाँगरी नदी भी कहा जाता है।

उद्गम स्थल

हरियाणा

  

विलुप्त स्थल
टाँगरी नदी  घग्गर नदी में समा जाती है।


हरियाणा के प्रभावित जिले
यमुनानगर 

विलुप्त स्थल
यमुनानगर के बिलासपुर के नजदीक शापुर से लाडवा तक जाती है  चोतंग नदी में मिल  जाती है।

दक्षिण हरियाणा की नदियां 


साहिबी नदी 


साहिबी नदी हरियाणा की एक महत्वपूर्ण नदी है, जो अरावली पर्वतमाला से निकलती है। यह नदी हरियाणा के दक्षिणी भाग से होकर गुजरती है और इसका महत्व ऐतिहासिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से है।
 प्राचीन नदी: साहिबी नदी एक प्राचीन नदी है, जिसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। अरावली पर्वतमाला: साहिबी नदी अरावली पर्वतमाला से निकलती है, जो भारत की सबसे पुरानी पर्वतमालाओं में से एक है।
- हरियाणा की जीवन रेखा: साहिबी नदी हरियाणा के दक्षिणी भाग के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है, जो कृषि और पेयजल के लिए उपयोग किया जाता है।साहिबि नदी एक बरसाती नदी है। यह नदी राजस्थान में जयपुर के जितगढ़ तथा मनोहरपुर नामक स्थान के पास  बहरोड़ की पहाड़ी से निकलती है। इस की लम्बाई 120 KM है।

उद्गम स्थल 
यह नदी राजस्थान में जयपुर के जितगढ़ तथा मनोहरपुर नामक स्थान के पास  बहरोड़ की पहाड़ी से निकलती है।

हरियाणा में प्रवेश
साहिबि नदी रेवाड़ी जिले से हरियाणा में प्रवेश करती है।

हरियाणा के प्रभावित जिले
रेवाड़ी 
गुरुग्राम 

विलुप्त स्थल
साहिबि नदी गुरुग्राम जिले की नफ़जगढ़ झील में आकर मिल  जाती है।

बांध/झील
नजफ़गढ़ झील 

दोहन नदी

  दोहान नदी हरियाणा की एक महत्वपूर्ण नदी है, जो मेवात जिले से होकर गुजरती है। इसकी लम्बाई 50 KM है। 

उद्गम स्थल
राजस्थान में नीम का थाना नामक स्थान से निकलती है।  

हरियाणा में प्रवेश
रेवाड़ी
 
 विलुप्त स्थल
दोहन नदी महेंद्रगढ़ जिले में विलुप्त हो जाती है। 

इन्दौरी नदी 

इन्दौरी नदी मेवात के निकट अरावली की पहाड़ियों से निकलती है यह नदी साहिबि नदी की सहायक नदी है। 

उद्गम स्थल
नूह की पहाड़ियां

हरियाणा के प्रभावित जिले
मेवात
 
विलुप्त स्थल
मेवात जिले में साहिबि नदी में मिल जाती है। 

कृष्णावती नदी


 कृष्णावती नदी अरावली श्रंखलाओं से निकलती है। यह नदी एक बरसाती नदी है। कृष्णावती नदी हरियाणा की एक प्राचीन नदी है, जो अब लगभग लुप्त हो चुकी है। इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। यह नदी रेवाड़ी से हरियाणा में प्रवेश करती है तथा महेंद्रगढ़ में पहुँच कर साहिबि नदी में मिल जाती है।

उद्गम स्थल
 अरावली श्रंखला

हरियाणा में प्रवेश
रेवाड़ी से हरियाणा में प्रवेश करती है। 

विलुप्त स्थल
महेंद्रगढ़ में आकर साहिबि नदी में मिल जाती है।






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